Diwali 2023: इस बार दिवाली 12 नवंबर यानी आज है. दिवाली का पर्व कार्तिक मास के अमावस्या तिथि को मनाया जाता है. इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की उपासना की जाती है. कहते हैं कि इस दिन भगवान राम लंका पर विजय प्राप्त करके अयोध्या वापिस लौटे थे, जिसकी खुशी में सभी नगरवासियों ने दीपक जलाए थे. दिवाली के दिन लोग अपने घरों को दीए, रंगोली आदि चीजों से सजाते हैं. लेकिन, क्या आपने ये कभी सोचा है कि आखिर दिवाली क्यों मनाई जाती है या इस पर्व की शुरुआत कब से हुई थी. दरअसल, दिवाली मनाने के पीछे बहुत सारी पौराणिक कथाएं हैं जो बेहद महत्वपूर्ण हैं. तो आइए जानते हैं उन कथाओं के बारे में.
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श्री राम 14 साल के वनवास के बाद लौटे थे
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रामायण के मुताबिक, भगवान श्रीराम जब लंकापति रावण का वध करके माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या वापस लौटे तो उस दिन पूरी अयोध्या नगरी दीपों से सजी हुई थी. कहते हैं कि भगवान राम के 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या आगमन पर दिवाली मनाई जाती है. हर नगर हर गांव में दीपक जलाए गए थे. तब से दिवाली का यह पर्व अंधकार पर विजय का पर्व बन गया.
श्रीकृष्ण के हाथों नरकासुर का वध
भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा की मदद से असुर राजा नरकासुर का वध किया था. नरका सुर को स्त्री के हाथों से वध का श्राप मिला था. उस दिन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि थी. नरका सुर के आतंक और अत्याचार से मुक्ति मिलने की खुशी में लोगों ने दीपोत्सव मनाया था. इसके अगले दिन दिवाली मनाई गई.
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पांडवों की घर वापसी
दिवाली को लेकर एक कथा पांडवों के घर लौटने को लेकर भी है. याद दिला दें कि पांडवों को भी वनवास छोड़ना पड़ा था, जिसके बाद पांडव घर लौटे और इसी खुशी में पूरी नगरी को जगमग किया गया और तभी से दिवाली की शुरूआत हुई.
मां लक्ष्मी का अवतार
दिवाली से संबंधित एक कथा और जुड़ी है कि समुद्र मंथन के दौरान माता लक्ष्मी जी ने सृष्टि में अवतार लिया था. यह भी मुख्य कारणों में से एक है. माता लक्ष्मी को धन और समृद्धि की देवी माना जाता है. इसीलिए हर घर में दीप जलने के साथ-साथ हम माता लक्ष्मी जी की पूजा भी करते हैं. यह भी दीपावली मनाने का एक मुख्य कारण है.
मुगल बादशाह जहांगीर
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मुगल बादशाह जहांगीर ने सिखों के 6वें गुरु गोविंद सिंह सहित 52 राजाओं को ग्वालियर के किले में बंदी बनाया था. जब गुरु को कैद से आजाद किया जाने लगा तो वे अपने साथ कैद हुए राजाओं को भी रिहा करने की मांग किए. गुरू हरगोविंद सिंह के कहने पर राजाओं को भी कैद से रिहाई मिली थी. इसलिए इस त्योहार को सिख समुदाय के लोग भी मनाते हैं.
अंतिम हिंदू सम्राट की जीत
अंतिम हिंदू सम्राट राजा विक्रमादित्य की कहानी भी दिवाली के साथ जुड़ी हुई है. राजा विक्रमादित्य प्राचीन भारत के एक महान सम्राट थे. वे एक बहुत ही आदर्श राजा थे और उन्हें उनके उदारता, साहस तथा विद्वानों के संरक्षणों के कारण हमेशा जाना जाता है. इसी कार्तिक अमावस्या को उनका राज्याभिषेक हुआ था. राजा विक्रमादित्य मुगलों को धूल चटाने वाले भारत के अंतिम हिंदू सम्राट थे.
मां काली का रौद्र रूप
एक और कथा के अनुसार माता पार्वती ने राक्षस का वध करने के लिए जब महाकाली का रूप धारण किया था. उसके बाद उनका क्रोध शांत नहीं हो रहा था. तब महाकाली का क्रोध शांत करने के लिए भगवान शिव स्वयं उनके चरणों में लेट गए थे. तब भगवान शिव के स्पर्श से उनका क्रोध शांत हुआ था. इसी की याद में उनके शांत रूप लक्ष्मी की पूजा की शुरुआत हुई. इसी रात इनके रौद्ररूप काली की पूजा का भी विधान है.
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