कैफीन का सेवन करें सीमित : कैफीन वाले पेय गैस्ट्रिक एसिड का उत्पादन बढ़ाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप श्लेष्मा झिल्ली में जलन होती है। वही, सॉफ्ट ड्रिंक के प्रयोग से भी बचना चाहिए, क्योंकि ये एसिड उत्पादन के साथ पेट में गैस बनाते हैं और गैस्ट्रिक समस्याओं का कारण बनते हैं। इसलिए कैफीन युक्त पेय (चाय, कॉफी, कोला पेय) का सेवन कम से कम करें। इनकी जगह कैफीन मुक्त चाय, हल्दी वाला दूध, ग्रीन टी, हर्बल टी, ग्लूकोज, पानी, छाछ आदि का सेवन करें।
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मसालेदार और चिकनाई युक्त भोजन से बचें : मसालेदार और तैलीय खाद्य पदार्थ अल्सर का कारण नहीं बनते हैं, लेकिन वे कुछ लोगों में लक्षण को बदतर कर सकते हैं। यदि, मसालेदार भोजन से आपको परेशानी होती है, तो उनका सेवन बिल्कुल बंद कर दें या सीमित कर दें। इस तरह के भोजन में अचार, मसाले, मिर्च, पेस्ट्री, केक, मिठाई, तला हुआ भोजन, वसा युक्त ग्रेवी इत्यादि शामिल है।
भूखे ना रहें : जो लोग उपवास रखते हैं या किसी समय का खाना नहीं खाते हैं, उनमें इस बीमारी की स्थिति और खराब हो सकती है। इस बीमारी का मुख्य लक्षण पेट में जलन है। पेट के खाली होने पर एसिड की मात्रा बढ़ती है और पेट में दर्द होता है। पेट के एसिड को खत्म करने वाले कुछ खाद्य पदार्थों एवं दवाओं को खाने से दर्द में राहत पाई जा सकती है।
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गैस बनाने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन ना करें : पेट फूलना इस बीमारी के सामान्य लक्षणों में से एक है और अगर आप ऐसा भोजन कर रहे हैं, जिसकी वजह से गैस बनती है तो यह असुविधा को बढ़ा सकता है। इसलिए पत्तागोभी, फूलगोभी, प्याज और शलजम, सूखा मटर, तले हुए खाद्य पदार्थ आदि का सेवन न करें, ताकि लक्षणों को नियंत्रित किया जा सके।
अल्कोहल का सेवन छोड़ दें : अल्कोहलयुक्त पेय का सेवन करने से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट के साथ-साथ सुरक्षात्मक म्यूकोसल लेयर को नुकसान हो सकता है और आगे यह सूजन व ब्लीडिंग का कारण बन सकता है। इसलिए लक्षणों को कम करने के लिए, अल्सर से ग्रसित व्यक्ति को अल्कोहल का सेवन नहीं करना चाहिए।
धूम्रपान और तंबाकू का सेवन है हानिकारक : यदि आप धूम्रपान करते हैं या तंबाकू चबाते हैं, तो इस आदत को छोड़ने की कोशिश करें। तंबाकू अल्सर को ठीक करने की गति को कम कर सकता है। इसके अलावा दोबारा अल्सर होने के जोखिम को भी बढ़ा सकता है। अचानक से तंबाकू और धूम्रपान का सेवन करना कठिन हो सकता है, इसलिए इस बारे में डॉक्टर से सलाह लें।
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अपने शरीर के लक्षणों पर दें ध्यान : कुछ लोग निश्चित खाद्य पदार्थों के सेवन के बाद लक्षणों के बिगड़ने के बारे में जानकारी देते हैं। इसलिए यह पता लगाना जरूरी है कि वे कौन से भोज्य पदार्थ हैं, जो इस समस्या को ट्रिगर या बढ़ावा देते हैं। ऐसे भोज्य पदार्थों को तुरंत सीमित करें या इनका सेवन बिल्कुल बंद कर दें।
पर्याप्त आराम करें : अच्छा शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य होना बहुत आवश्यक है, जरूरत से ज्यादा काम और शारीरिक एवं मानसिक तनाव कई बीमारियों का कारण बन सकता है। रोगी को यह याद रखना चाहिए कि चिंता पाचन तंत्र को प्रभावित कर सकती है, जो इस बीमारी के दौरान हानिकारक हो सकती है। ऐसे में मानसिक और शारीरिक आराम बहुत जरूरी है।
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